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परिषद विधि

परिषद विधि

परिषद विधि

परिषद का विस्तार

 

 1. मौलिक कार्यकारिणी द्वारा विस्तार किये जाने के लिए सर्वप्रथम उसके द्वारा 'अपनी कार्यकारिणी' के आवश्यक 'प्रभारियों' का सम्बर्धन करना होगा एवं मूल कार्यकारिणी के सदस्य ही 'प्रभारी गण' होंगे तथा निर्देशित क्षेत्र के प्रभारी तथा निर्देशित क्षेत्र हेतु मूल कार्यकारिणी के प्रतिनिधि होंगे।  इनके द्वारा निर्देशित क्षेत्र की 'कार्यकारिणी' का गठन किया जाएगा। यह 'प्रभारीगण' मूल- कार्यकारिणी का अंग बने रहकर संबंधित क्षेत्र के लिए 'मुलकार्यकरिणी' के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे।

 

2. 'परिषद -विधि' में दो तिहाई बहुमत के आधार पर ' पद-परिवर्धन' तथा 'पद परिवर्तन'  किया जा सकेगा। सामाजिक, भौगोलिक एवं प्रशासनिक विविधताओं के कारण अथवा आवश्यकता पड़ने पर 'पद' अथवा 'नियम' एकल भी किए जा सकेंगे।

 

3. कोई भी नियम सार्वजनिक परिचर्चा में बहुमत प्राप्त करने के बाद 'विधि' का अंग बन सकेगा और ठीक इसी प्रकार परिवर्तन अथवा प्रभावहीन या समाप्त भी किया जा सकेगा।

 

4. कोई भी 'पदाधिकार' सदस्य के अनुभव और क्षमता के आधार पर ही दिया जा सकेगा।